विकॄ, अवकॄ, विक्षिप् — इतस्ततः परितः वा धान्यादीनां द्रव्याणां वा विक्षेपणानुकूलः व्यापारः।; "व्याधेन वृक्षस्य अधः धान्यं व्यकारि।" (verb)
इन्हें भी देखें : अपकॄ, विकॄ, अवकॄ, विक्षिप्;
Arth
नाम का अर्थ
Nam ka arth
झंडा
MEANING OF KAVACA
प्रश्न का शीर्षक
Me
हिंदी में अर्थ
मोटरबोट की संस्कृत
समपृति